पिछले कुछ समय से सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार की जाति(Samrat Mihirbhoj Pratihar Caste) को लेकर विवाद चल रहा है 2 जातियों के बीच, जो कि बढ़ता ही जा रहा है। राजपूत समाज का दावा है सम्राट मिहिर भोज राजपूत थे और राजपूत सम्राट है, जबकि गुज्जर समाज का दावा है सम्राट मिहिर भोज गुज्जर थे और गुज्जर सम्राट है, आज हम आपको विस्तार से बताएंगे कि गुज्जर समाज का प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज पर क्या दावा है और राजपूत समाज का प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज पर क्या दावा है साथ ही हम आपको सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार की जाति भी बताएंगे तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।
सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार कौन थे?
सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार कन्नौज के सम्राट थे और वह प्रतिहार वंश के सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक थे जिन्होंने कुल मिलाकर 49 साल शासन किया 836 ईस्वीं से 885 ईस्वीं तक।
गुज्जर समाज का प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज पर दावा
गुज्जर समाज का दावा है कि सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार को इतिहास के पन्नों में गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज लिखा गया है इसलिए उनकी जाति गुज्जर है, राजपूत जाति 13वीं शताब्दी में अस्तित्व में आई उससे पहले कोई राजपूत नाम की जाती थी ही नहीं, साथ ही गुजर समाज पृथ्वीराज चौहान, अनंगपाल तोमर और बप्पा रावल पर भी अपना दावा करता है कि उनकी जाति गुज्जर थी और वह गुज्जर सम्राट थे
राजपूत समाज का प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज पर दावा
राजपूत समाज का दावा है कि सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार क्षत्रिय थे और उनके वंशज आज भी जिंदा है जो अपने आप को राजपूत बताते हैं और उनकी पूरी वंशावली है, इतिहास बदला नहीं जा सकता क्योंकि वह हो चुका है लेकिन फिर भी कुछ असामाजिक तत्व सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार की जाति बदलने में लगे हुए हैं, इतिहास में उन्हें गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने गुर्जर प्रदेश पर शासन किया था और संपूर्ण प्रदेश को उस समय ‘गुर्जर प्रदेश’ नाम से जाना जाता था और इतिहास के पन्नों में लिखा हुआ है गुर्जर प्रतिहार वंश में गुर्जर का मतलब स्थान है ना की जाति।
सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार की जाति क्या है?
सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार की जाति राजपूत है, और गुज्जर समाज के सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार पर दावे गलत है क्योंकि राजपूत शब्द संस्कृत शब्द राजपूत्र का बिगड़ा हुआ रूप है जो कि राजकुमार या राजवंश का सूचक था और धीरे-धीरे छत्रिय वर्ग ही राजपूत के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
गुज्जर समाज का यह कहना कि 12 वीं शताब्दी से पहले राजपूत जाति थी ही नहीं यह दावा पूरी तरीके से गलत है, इतिहास के पन्नों में राजपूत काल सातवीं से लेकर 12वीं शताब्दी तक दर्ज है जिसमें बहुत ही शक्तिशाली राजा हुए हैं और सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार के समय राजपूताना नाम की कोई जगह नहीं थी क्योंकि उस समय संपूर्ण प्रदेश को गुर्जर प्रदेश कहा जाता था यानी कि गुर्जर शब्द स्थान वाचक है ना कि कोई जाति।
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