Dhiman Caste: धीमन समुदाय अपनी कुशल कारीगरी के लिए जाना जाता है, धीमन समुदाय ने अपने हुनर के दम पर हिंदुस्तान में अपनी अलग पहचान बनाई है. माना जाता है इस समुदाय ने कारीगरी के क्षेत्र में अनेकों अविष्कार किए इस समुदाय के बच्चों को पैदाइशी इंजीनियर भी कहा जाता है.
धीमान वंश कहां से शुरू हुआ?
माना जाता है धीमान भगवान विश्वकर्मा के पांच पुत्रों में से एक थे और उन्हीं से आगे चलकर धीमान समुदाय का वंश चला.
Dhiman Caste In Punjab
धीमान जाति पंजाब के अंदर अपनी कुशल कारीगरी के लिए जानी जाती है इस जाति के लोग उच्च स्तर के बढ़ाई, राजमिस्त्री, लोहार, सुनार और कारीगर होते हैं.
लौहार, तरखान, चितेरे, कंगेड़, जांगीड़ और रामगढि़या जातियों से सुसज्जित धीमान समुदाय की अवादी पंजाब में लगभग 3.50 से 4 लाख है.
धीमान जाति किस कैटेगरी के अंदर आती है?
आरक्षण प्रणाली के अंतर्गत धीमान जाति अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कैटेगरी में आती है.
FAQ
क्या धीमन ब्राह्मण होते हैं?
नहीं, धीमान विश्वकर्मा समुदाय से आते हैं जिसे विश्वब्राह्मण के रूप में भी जाना जाता है, इस समुदाय का ब्राह्मण समुदाय से कोई संबंध नहीं है लेकिन इस समुदाय के लोग नाम के अंत में ‘ब्राह्मण’ शब्द का उपयोग करते हैं.
धीमान जाति किस कैटेगरी में आती है?
आरक्षण प्रणाली के अंतर्गत धीमान जाति अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कैटेगरी में आती है.
धीमान समुदाय की आबादी किस क्षेत्र में पाई जाती है?
धीमान समुदाय की आबादी मुख्य रूप से उत्तर भारत में फैली हुई पाई जाती है खास तौर पर हिमाचल प्रदेश, पंजाब, बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में धीमान समुदाय अपने कुशल कारीगरी के लिए जाना जाता है और इस समुदाय ने कारीगरी के क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया है.
धीमान समुदाय की उत्पत्ति कैसे हुई?
धीमान भगवान विश्वकर्मा के पांच पुत्रों में से एक थे और उन्हीं से धीमान समुदाय की उत्पत्ति हुई.
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इंद्र को ब्रह्महत्या विश्वरूप को मारने पर लगी वह विश्वकर्मा का वंशज था। तो विश्वकर्मा और उन के वंशज ब्राह्मण क्यों नहीं?
पुराणों मैं वृहस्पति व अन्य ब्राह्मण विश्वकर्मा जी के रिश्तेदार थे।
कौन से सनातन हिन्दु धर्म के ग्रंथ मैं लिखा है कि विश्वकर्मा शूद्र थे ?
इन ढोंगी पोंगी पाखंडी ब्राह्मणों ने आड़म्बर जाल फेलाया हुआ है।
ब्रह्मा जी के मानसपुत्र धर्म कि वंश श्रृंखला में थे, हैं विश्वकर्मा जी। धर्मग्रंथ साक्षी है।
Hinduland द्वारा दी गई यह जानकारी हिन्दु धर्मग्रंथो सम्मत नहीं है, भ्रामक है।
इन को चाहिए कि ये पुराणों, धर्मग्रंथो का अध्ययन करें तब कहें।