जादौन उत्तर भारत और पाकिस्तान में पाए जाने वाले चंद्रवंशी (यदुवंशी) राजपूतों का एक वंश है। जादौन राजपूत भगवान श्री कृष्ण के वंश से है हमने आपको नीचे पूरे विस्तार से इनकी उत्पत्ति, इनकी आबादी, और कुलदेवी के बारे में बताया हुआ है.
जादौन राजपूतों को मुस्लिम आक्रांताओं का कट्टर दुश्मन माना जाता था, इन्होंने कभी किसी शासक के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया और हमेशा युद्ध के मैदान में क्षत्रिय धर्म का पालन किया विजय या वीरगति।
जादौन राजपूत वंश कहां से शुरू हुआ?
पुराणों के मुताबिक, आदिकालीन ऋषि अत्रि के वंशज सोम की संपत्ति (सोमवंशी ) चंद्रवंशी कहलाये। इस वंश के छठे चंद्रवंशी राजा ययाति के पुत्र चंद्रवंशी राजा यदु के वंशज “यदुवंशी” कहलाये। यदुवंश की 39वी पीढ़ी में श्री कृष्णा हुए और वही श्री कृष्णा से 88वी पीढ़ी के राजा भाटी अंतिम यदुवंशी शासक हुए।
नोट- इन्दु और सोम संस्कृत में चन्द्र के पर्यायवाची है.. इसलिए चन्द्र-वंश , सोम-वंश अथवा इन्दु-वंश किसी भी शब्द का प्रयोग किया जा सकता है.
अंतिम यदुवंशी शासक से अभिप्राय यह कि राजा भाटी के बाद यदुवंश यादों, भाटी, जाडेजा और चुडासमा उपशाखाओ से जाना गया। यादों से जादों और फिर जादौन, इस प्रकार यदुवंश में भाटी, जादौन, जाडेजा और चुडासमा (जाडेजा और चुडासमा गुजरात में सबसे ज्यादा है) राजपूत वंश चले। वर्तमान में करोली (राजस्थान) यदुवंशी जादौन राजपूतो की सबसे बड़ी रियासत है, जिसकी स्थापना 13वी शताब्दी में हुयी थी।
करोली राजघराने से आकर ठाकुर छतरभुज सिंह जी ने उत्तर प्रदेश के एटा जिले में अवागढ़ जागीर वसाई। उत्तरप्रदेश में बसे ज्यादातर जादौन करोली से आये अपने पूर्वजो की संतान है।
महाराष्ट्र में पाए जानेवाले जाधव मराठा क्षत्रिय भी करोली (राजस्थान) से निकले जादौन राजपूतो की ही एक शाखा है।
जादौन राजपूतों की आबादी किस क्षेत्र में है?
जादौन राजपूतों की आबादी विशेष रूप से उत्तर भारत और मध्य भारत में फैली हुई पाई जाती है खासतौर पर पश्चिम राजस्थान, पश्चिम उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में।
जादौन राजपूतो के ठिकाने उत्तर प्रदेश में: जादौन राजपूत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजपूतों की सबसे बड़ी खाप में से एक है अवागढ़, मिश्रा, गभाना तहसील पूरी जादौन राजपूतो की है खुर्जा से लेकर टूंडला, हाथरस तक जादौन ही है।
जिला बुलंदशहर में भी जादौन राजपूतो के लगभग 100-150 गांव है। अलीगढ जिले में लगभग 80-100 गाँव है। कोटला ,रहिहाबाद , शमशाबाद (आगरा ), मुसफाबाद ,घिरौर (मैनपुरी) , सिरसागंज (फिरोजाबाद ) ,सिरसागंज और शिकोहाबाद क्षेत्र के आस-पास लगभग 84 गाँव में जादौन राजपूतो की बहुतायत है। फिरोजाबाद जिले में और भी गाँव है जहा जादौन राजपूतो के ठिकाने है। छाता (मथुरा), अडीग (मथुरा), कौल, हसनगढ़, अकबराबाद, सिकदाराराम , खैर, किरावली, जेवर-खुर्जा रोड (बुलन्दशहर) में लगभग 100-150 गाँव ऐसे है जहा जादौन राजपूत बहुतायत में है। आदि उत्तरप्रदेश में जादौन राजपूतो के ठिकाने है। इस प्रकार पश्चिम उत्तरप्रदेश में लगभग 400-450 गाँव जादौन राजपूतो के है।
भिंड और मुरैना मध्यप्रदेश में भी जादौन के लगभग 30 गाँव है। कुछ के नाम यहाँ उपलब्ध है – मुरैना में चचिहा ,धमकन,अटा, कीरतपुर, सुमावली, नरहेला, बुरावली,शहदपुर, बडोना, बांसी, गढ़ी ,हथरिया ,घुरघान, केमरा।
मुरैना के पास सबलगढ़ में हीरापुर गाँव के आसपास बहुतायत में जादौन राजपूत बसे है। लगभग 50 गाँव है। भिंड में सोंधा, मानपुरा, चंदपुरा, विजयपुरा, जेतपुरा, रसनोल, पीपरपुरा, बिरखड़ी, अटर तहसील में उडोतगढ़.
करोली जिले में जादौ पट्टी में 37 जादौन के ठिकाने है। राजस्थान के धोलपुर और भरतपुर के डीग में 15-20 गाँव है।
जादौन राजपूत वंश की कुलदेवी का क्या नाम है?
जादौन राजपूत वंश की कुलदेवी का नाम कैला देवी है.
FAQ
जादौन किस जाति में आते हैं?
जादौन राजपूत जाति में आते हैं जोकि चंद्रवंश की शाखा है जादौन राजपूतों को यदुवंशी क्षत्रिय कहा जाता है.
क्या भरतपुर राजघराने का निकास करौली के जादौन राजपूतों से हुआ है?
हां, भरतपुर राजवंश अपनी उत्पत्ति करौली के जादौन राज परिवार से मानता है और भरतपुर राजघराना भी भगवान श्री कृष्ण के वंशजों में से एक है.
क्या जादौन अहीर जाति में आते हैं?
नहीं, जादौन का अहीर जाति से कोई लेना देना नहीं है जादौन वंश शुद्ध छत्रिय वंश है जबकि अहीर जाति एक घुमंतू, चारवाह और पशुपालक जाति है।
जादौन राजपूतों की आबादी किस राज्य में पाई जाती है?
जादौन राजपूतों की आबादी पश्चिम राजस्थान, पश्चिम उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।
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Jake bhai pahle वेद पुराण ग्रंथ padh pata chal jayega krishna ji ka vanshaj ahir Yadav gop gwal h mtlb kuch bhi bolte ho yrr tum log tum log ko वेद पुराण ग्रंथ padhne ka zaroorat h usmain vasudev aur nandaba ko saaf saaf gop gwal ahir Yadav bola gya h aur woo dono chachera bhai the Jake padho 🤣🤣🤣🤣lol mtlb kuch bhi bolte ho ao main proof deta h ved puran se
Abe jake tu pura. Padh Google se dekh ke kya bol rha Shri Krishna jadaun k yaha peda hue the aur yadav ke yaha pale the
गूगल पहले आया या पुराण
गूगल को अभी कुछ ही साल हुए है और गूगल पे जो जादौन समाज है अपने आप को जबरदस्ती जोड़े जा रहा है
अगर जादौन के यहां जन्मे तो पुराणों में जादौन शब्द का उल्लेख तक क्यों नही है
श्रीकृष्ण जी यदुवंश में प्रकट हुए थे
तुम बस गूगल पे ही तो हिस्ट्री बना रहे हो जाके थोड़े बहुत ग्रंथ भी पड़ लो
पुराणों में ऐसे बहुत से प्रमाण है जिसमे कृष्ण जी को अहीर गोप ग्वाला बोला गया है चाहो तो गूगल से पूछ लो । वोही बता देगा तुमको
सब जानते है अहीर कौन है और क्या इतिहास है उसका । कुछ भी साबित नहीं कर पाओगे
Avinash bhai tu pdh shi se
Abe jaake tu padh le
मध्यप्रदेश के गुना जिले में भी कुछ गांव है जिसमे , जामनेर , खेड़ली मैदानी ,मोतीपुर डोंगर , मलिया खेड़ी , तोरई, नलखेड़ा, मंत , परबरिया ,बारोद,बुडना, आदि गांव हैं जिसमें जादौन निवासरत हैं , इनको भी सूची शामिल किया जाए
किसी गांव में जादौन निवासरत है इससे क्या साबित होता है
कोई कहीं भी जा के रहा सकता था आज कोई जमीन मेरी है कल किसी और की होगी
जमीन राज्य किला ये सब कभी भी किसी के भी हो सकते है
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिला में
ग्राम – दुर्गापुर
में जादौन राजपूत है उनका भी पता इस लिस्ट में शामिल किया जाए
Jadoun mostly not rajput in braj region fallow low caste system jadoun jadoun me Sadi karte hai 90% rajput nahi hote low caste 🤥 system ahir me 3 division hai 💪 yaduvansh gopvans nandvansh Inka samband krishnakul se hai yadav kuch time se jada prachalan me aa gaya. kisi ko badnam mat karo ham ahir hai charu rao yaduvanshi tijara king 👑 7 sadi raja tha me tab karoli ka namonisan nahi tha. Digpal ahir 👑 king mathura jisaki putri ki sadi mewar ke rana katira se huyi thi bad me katira ne mathura ke bade kshetr mahaban jalesar par kabja kar liya ahir yadav braj me ahirwal me 30 estate tha jo pahale riyasat thi 💪 upsc ke Anushar andhak vrishni abhira hi yaduvabshi log tha jinhone purohito bramano ko respect nahi kiya unki pauranik virasat unsave kar diya jata tha milavat karke mlech bana diya jata tha. Rajputo ke sath bhi Aisa hai rajput ko videshi bataya jata hun jinhone muslim akraman se pahale gupt kal me 5 Sadi me bharat par akraman kiya tha 🧐angnivans ko sudhikaran ki ghatana ke rup me dekha jata hai jinhone bad me suryavanhi chandravanshi bhi ban gaye Sri ram srikrishna se vans ka dawa karane lage suryavanhi chandravanshi manayata di jati thi trible ko hai moon 🌙and 🌞 sun se ensan nahi paida hote yadavas is mythology of abhira orgin Aaj bhi krisna jude vans mitak ahir me hai jaise yaduvanshi gopvanshi nandvanshi krishnaut. E.t.c Chandra 1 upgrah hai surya1 1 Tara hai hydrogen gash se bana hai jisase ensan nahi paida hote 🧐 tribles ko ahir manyata di jati thi 💪 rajput jadatar huns videsi mlech hai 80 prasenta 20 prasent Indians jo alag alag jati ha jadoun jadatar ahir type caste hai 90 prasent rajput nahi hote dusare rajput bhi Sadi karte jadoun me lekin akhilesh yadav ki sadi dymple se ho jo rajput hai agar Paisa power ho rajput ahir me Sadi kar leta hai. Danyawad.
I am Jadaun and my gotra is ravat. I am Belong from Jila hapur City Simbhavali Village Haroda. Please tell me about me and my history. Jai Shree Krishna
History of jadauns
Jadauns are the descendants of King Yayati’s son Yadu. According to the Puranas, King Yayati had two wives, Sharmishtha and Devyani. Devyani was the daughter of Asura Guru Shukracharya.Yadu was the son of Yayati and Devyani. The Yaduvanshi are the descendents of Yadu. In Sanskrit Yaduvanshi means the family of Yadu.
They also occupied forts of Bijai Garh, built by Pundir Rajputs, at Bayana and Timan Garh near Karauli. Jadons are among the 36 Royal Clans of Rajputs, They are of Chandravanshi lineage and Kuldevi of Jadon’s is Keladevi at Karauli (Rajasthan). In Rajasthan, the Jadon are found in Karauli, Bharatpur, Jaipur and Jaisalmer.The 600 year old Karauli City Palace was built probably in the 14th century by the royal family and a magnificent city palace in 1635 AD. The fort and the city palace remains the official residence of the royal family of Karauli till 1938 AD. At that time a much more modern Bhanwar Vilas palace was built by Maharaja Ganesh pal Deo Bhadur.
Ahir ke andar yaduvansi ahir nandvashi ahir gwals sakha vibhakt hai 💪upsc me bhi padhaya jata hai abhira ke tribles God Krishna ji the andhak vrishni satvat abhira hi yaduvanshi se sambandhit vans hai 😡
Nandvanshi ahir mp braj me paye jate hai
Yaduvanshi ahir gujrat kathiawad dwarika side aur braj pure ahirwal alwar alwar tijara hariyan kuch gav mp up me bhi hai 💪
Gopvanshi ahir mostly purv up bihar kuch sankya nepal me paye jate hai sabhi abhira hai .
Bhai mere Vasudev Ahir nahi the nand ji ahir the . Jadaun Vasudev ke Vanshaj hen.
Nand gwal the par vasudev kshatriya the vrishni vansh ke …thoda WhatsApp University se Kam padh…yadav surname ahiro ne ,1920 mein liya hai arya samaj ke kehne par
तो जो वृष्णि वंश में या अन्य किसी वंश में क्षत्रिय थे वो अहीर ही थे । जो योद्धा थे वो मुख्य रूप से अहीर ही थे अन्य ग्वाल भी होते थे जरूरत पड़ने पर युद्ध भी करते थे
योद्धा केवल शस्त्र से पेट नही भरेगा उसी योद्धा को खाने के लिए खाना भी चाहिए और पहनने के लिए कपड़े और बहुत सारी वस्तुएं
पुराने समय में कृषि उतनी उन्नत नही थी ये गेहूं और तरह तरह के अनाज नहीं थे
पशुपालन ही मुख्य स्रोत था भोजन का जिससे दूध मिलता था से यदुवंश में किसी राज्य में रहने वाले यादव ही आपस में अपना कार्य विभाजित कर अपने अपने कार्यों को पूर्ण करते थे वासुदेव जी के पास भी कई लाख गाएं थी
नंद जी के पास 9 लाख गाएं थी
जाके थोड़ा पड़ो लिखो फिर बोलना तर्क और प्रमाण की बात करो ।
प्रमाण है नही तुम्हारे पास फिर तर्क कहा से दोगे रहने ही दो तुम
यादव वेदिक क्षत्रिय थे । है और रहेंगे
Obc -other backward class
Me आने की वजह से उनकी क्षत्रिय वाली छवि कम हो गई है क्योंकि आज के लोग कैटेगरी को भी ऊंचा और नीचा बना देते है
पेहला केश खिचाय के पछे बढायो चीर
आसी लाज गमाय ने आखिर जात अहीर
अलवर के कवि श्री रामनाथ जी कविया चारण कवि द्वारा रचित द्रोपदी विनय से उद्धरत दोहा है जिसमे द्रोपदी श्री कृष्ण को उलाहना दे रही है कि मेरे केश खीचने के बाद चिर बढ़ाया।आखिर तुम देरी से आये और अपनी जाति का असर दिखाए बिना नही रह पाए।
पुराण में तो है ही नए में भी प्रमाण दे देंगे
अब तुम प्रमाण दो जहा कृष्ण जी को जादौन बोला गया है
Teri buddhi ghutane me hai be 😡 sale gadhe sab nand vanshi nahi hai 🤣,,ham logo me tree divide vansh hai,, yaduvanshi abheer,,nand vanshi,,gwal vanshi,,, yaduvanshi me dowa yadav jo Balram ji ke vanshj hai unki 30 se jyada riysast bundelakhand me payi jati hai 🤨✊😎,,aur yaduvanshi shree Krishna ji vashj gujrat me paye jate hai 😅,,aur mp mandloi rajvansh bhi shree Krishna ji vashj hai pahle history padh jake sabko nand vanshi mat bana samjha
Ave 🤣 nand gop the naki gwal bahan ke take sara hisab caort karegi ki tera baap kon hai 🤣
जादौन हमेशा से क्षत्रिय नहीं थे उनका क्षत्रियाकरण हाल ही की शताब्दियों का बताया जाता है
तुम ये श्लोक पड़ो मीराबाई के
मीराबाई से भी अधिक श्रीकृष्ण को कौन जानता होगा ।
रास रच्यो बंशीतट जमुना, ता दिन किनो कौल रे।
पूरब जन्म की हूं मैं गोपिका, अधबीच पड़ गया खोल रे ।।
अब पड़ो अहीर के बारे में
गहरी नदियां नाव पुरानी, खेवटियो बेपीर ।।
मोर मुकुट पीतांबर सोहे, कानां कुंडल सिर चिर।।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, आखिर जात अहीर ।।
और पड़ो
ब्रज बानता सग कर विलास, मन में होत आधार ।।
सो दिन लाला भूल गयो रे, भूप भयो बड़ भीर।
मीरा के गिरधर गोपाल, तुम आखर जात अहीर ।।
और पड़ो
कथण लगन की प्रीत रे हरी लागी सोई जाने ।
प्रीत करी कछु रीत न जाणी चोर चले अधबीच ।।
दुख की बेला कोई काम न आवे सुख के सब हे मीत।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर आखर जात अहीर ।।
और कोई प्रमाण चाहिए तो बताना
वोभी देता हूं अगर ये पुराण न होते ग्रंथ न होते तुम तो अहीरों का इतिहास ही चुरा चुके होते
36 रॉयल क्लेन ये किसने बनाई और कब बनाई जेम्स टॉड और किताब 1829 में दिया है
ये है कौन जो ये बताएगा की कौन क्षत्रिय है ये तो भारत का भी नही है
जेम्स टॉड 1805 में राजस्थान आया था