Koli Caste: कोली अपनी बहादुरी और निडरता के लिए जाने जाते हैं. कोली मुख्य रूप से क्षत्रिय होते हैं लेकिन आज के समय में कोली समुदाय में कुछ ऐसी जनजातियां है जो अपने आप को क्षत्रिय नहीं मानती जबकि सत्य यह है ठाकोर खांट कठेरिया यह सब क्षत्रिय उपजाति है.
यह जातियां प्राचीन समय से ही क्षत्रिय है और राजा महाराजा इसी समुदाय के ही सैनिकों को भर्ती करना पसंद करते थे क्योंकि यह समुदाय जुझारू है और युद्ध के मैदान में हमेशा क्षत्रिय धर्म का पालन करता है विजय या वीरगति.
लेकिन वक्त के साथ Koli समुदाय में कुछ ऐसी जनजातियां शामिल हुई जिसकी वजह से कोली समुदाय के क्षत्रिय होने पर सवाल उठा हालांकि कोली समुदाय में जनजातियां है जो अपने आप को क्षत्रिय मानती है लेकिन कोली समुदाय में कुछ ऐसी जनजातियां भी है जो अपने आप को क्षत्रिय नहीं मानती है कोली समुदाय का शुद्ध राजपूतों से अलग होने का कारण अंतरजातीय विवाह था.
क्या गुजरात के राजपूतो को ओबीसी आरक्षण मिलता है?
जवाब है बिल्कुल नही, दरअसल गुजरात मे स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले से कृषक पाटीदार समाज ने विदेशों में जाना और शिक्षा के प्रसार से तरक्की शुरू कर दी थी,और धीरे धीरे गुजरात में अपनी 14% जनसंख्या को एकजुट करते हुए राजनैतिक और आर्थिक वर्चस्व भी स्थापित कर लिया था.
पाटीदारों का बढ़ता वर्चस्व गुजरात में राजपूतो के पतन की कीमत पर स्थापित हुआ था, दरअसल राजपूत ही अधिकांश गुजरात मे स्वतंत्रता प्राप्ति तक रजवाड़ो और जागीरों के मालिक थे।
रजवाड़े और जागीरों के खत्म होने से राजपूत समाज की स्थिति में गिरावट हुई क्योंकि जनसंख्या में शुद्ध राजपूत 7% के आसपास ही हैं तो इतने में राजनैतिक वर्चस्व बनाया जाना भी सम्भव नही था।
इसलिए राजपूतो ने छठे दशक के बाद आर्थिक राजनैतिक रूप से शक्तिशाली पटेलों का मुकाबला करने के लिए उन छोटी छोटी जातियों को अपने राजनैतिक गठबंधन में मिलाना शुरू किया जो खुद को राजपूतो से निकला हुआ या उनकी संतान मानते थे.
इन सभी जातियों को मिलाकर “क्षत्रिय” नामक राजनैतिक गठबंधन में जोड़ लिया, जिसमें शुद्ध मुख्यधारा के राजपूत के अतिरिक्त जो जाति अपने आपको राजपूतों से निकला हुआ मानती थी कोली-ठाकोर(20%),खांट, कराड़िया राजपूत, काठी आदि कई जातियों को मिलाया गया.
प्रारम्भ में इस “Kshatriya umbrella group” का नेतृत्व राजपूत नेताओं के हाथ मे रहा पर उन्हें विशेष सफलता नही मिली। बाद में कोली ठाकोर समाज के कांग्रेसी नेता माधव सिंह सोलंकी ने नया राजनैतिक गठबंधन बनाया जो “KHAAM” के नाम से प्रसिद्ध हुआ जिसमें K से क्षत्रिय (शुद्ध राजपूत,कोली-ठाकोर,कराड़िया आदि) H से हरिजन A A से आदिवासी और अहीर M से मुसलमान.
इस KHAAM गठबंधन की कुल आबादी गुजरात मे कुल आबादी की 60% हो गयी, जिसके दम पर कोली-ठाकोर समाज के नेता माधव सिंह सोलंकी ने लम्बे समय तक गुजरात पर राज किया और पटेलों को कड़ी टक्कर दी।
जिस “Kshatriya” umbrella group का निर्माण उच्चवर्गीय राजपूतो ने किया था उसका नेतृत्व अब संख्याबल के दमपर कोली-ठाकोर समाज के हाथों में आ गया, जिससे उच्चवर्गीय शुद्ध राजपूत इससे दूर होने लगे।
1989 में मण्डल आयोग की सिफारिशें लागू होते ही गुजरात के Kshatriya umbrella group में शामिल कोली-ठाकोर, कराड़िया राजपूत, खांट, काठी आदि जातियों को ओबीसी आरक्षण मिल गया, जबकि शुद्ध राजपूतो को ओबीसी दर्जा नही मिला।
ओबीसी दर्जा और राजनैतिक ताकत मिलने से इन सेमी-क्षत्रिय जातियों की स्थिति में सुधार हुआ। विशेषकर कोली-ठाकोर समाज ने खुद को सिर्फ क्षत्रिय प्रचारित करना ही शुरू कर दिया।
शंकर सिंह बाघेला शुद्ध राजपूत हैं पर उनका जनाधार सभी क्षत्रिय जातियों में था, क्योंकि वो पटेल वर्चस्व के विरुद्ध संघर्ष करते रहे थे.
शंकर सिंह बाघेला क्षत्रियों के नेता कहे जाते थे तो इसका गुजरात के संदर्भ में अर्थ सिर्फ राजपूतो से नही बल्कि Kshatriya umbrella group में शामिल सभी जातियों से है।
इसी प्रकार अगर कहीं लिखा है कि गुजरात मे क्षत्रियो को ओबीसी आरक्षण मिलता है तो इसका अर्थ है कि क्षत्रियों की उपजाति मानी जाने वाली कोली-ठाकोर, कराड़िया राजपूत, काठी, रजपूत,खांट आदि जातियों को ओबीसी दर्जा मिला हुआ है
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी कोली थे , पुरषोत्तम सोलंकी भी कोली है।
कोली अपने आप को ठाकोर बोलते थे यानी की जागीरदार.
कोली ठाकोर की आबादी किस क्षेत्र में है?
कोली ठाकोर की आबादी विशेष रूप से उत्तर भारत और मध्य भारत में फैली हुई पाई जाती है खासतौर पर महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में पाई जाती है.
FAQ
कोली ठाकोर किस जाति में आते हैं?
कोली ठाकोर राजपूत जाति में आते हैं और कोली ठाकोर भारत की क्षत्रिय उपजातियों में से एक है।
क्या कोली ठाकोर राजपूतों से अलग होते हैं?
नहीं, कोली ठाकोर राजपूत होते हैं और कहीं ऐसा देखा भी नहीं गया कि कोली ठाकोर किसी और जाति में पाए गए हो.
कोली ठाकोर की आबादी किस राज्य में पाई जाती है?
कोली ठाकोर की आबादी महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा और राजस्थान के कुछ हिस्सों में पाई जाती है
कोली ठाकोर अगर क्षत्रिय है तो उन्हें ओबीसी का दर्जा प्राप्त क्यों है जबकि शुद्ध राजपूतों को ओबीसी का दर्जा प्राप्त नहीं है?
1989 में मण्डल आयोग की सिफारिशें लागू होते ही गुजरात के छत्रिय कोली-ठाकोर, कराड़िया राजपूत को ओबीसी आरक्षण मिल गया, जबकि शुद्ध राजपूतो को ओबीसी दर्जा नही मिला अगर कोली ठाकोर को ओबीसी का दर्जा नहीं मिलता तो यह सवाल आज पूछा ही नहीं जाता कि कोली ठाकोर क्षत्रिय है या फिर नहीं.
क्या गुजरात के राजपूतो को ओबीसी आरक्षण मिलता है?
अगर कहीं लिखा है कि गुजरात मे क्षत्रियो को ओबीसी आरक्षण मिलता है तो इसका अर्थ है कि क्षत्रियों की उपजाति मानी जाने वाली कोली-ठाकोर, कराड़िया राजपूत, काठी, रजपूत, खांट आदि जातियों को ओबीसी दर्जा मिला हुआ है.
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