Aalha Udal Caste – आल्हा-ऊदल जिनका नाम इतिहास के पन्नों में अमर है जिन की शौर्य गाथा बड़े लड़य्या महुबे वाले जिनकी मार सही न जाए, एक के मारे दुई मरि जावैं तीसर खौफ खाय मरि जाए उत्तर भारत के हर कोने में गाई जाती है.
आज लगभग 900 साल बाद कुछ असामाजिक तत्व आल्हा-उदल जैसे वीर योद्धा को विवादास्पद बनाने में तूले हुए हैं, जबकि हम सभी जानते हैं महापुरुष हर जाति, हर वर्ग, और हर धर्म के होते हैं. लेकिन राजनीति के चलते 2 जातियों को लड़ाने के लिए अपने वोट बैंक के लिए कुछ पार्टियों के बड़े नेता ऐसे विवाद को जन्म देते हैं.
अगर आपकी रूचि फिर भी यह जानने में है कि अल्लाह ऊदल किस जाति से थे? तो हमने आपको नीचे विस्तार से बताया हुआ है.
Aalha Udal Kis Jaati Ke The?
वीर आल्हा-ऊदल राजपूत योद्धा थे। जो 12 वीं शताब्दी के महोबा के राजा परमाल चंदेल के सेनापति थे। जिनकी शौर्य गाथा आज भी बुंदेलखंड के कोने कोने में गाई जाती है। जिनके पिता का नाम दक्षराज बनाफर और माता का नाम देवला परिहार था।
आल्हा-उदल का जन्म 12 वीं शताब्दी में महोबा बुंदेलखंड के दशहरपुरवा नामक स्थान पर बनाफर वंश में हुआ था। आल्हा उदल के चाचा का नाम बछराज बनाफर था। बछराज के पत्नी का नाम तिलका परिहार था। बछराज और तिलका के 2 पुत्र थे मलखान सिंह और सुलखान सिंह दक्षराज और बच्छराज के पिता का नाम हंसराज बनाफर था जिनकी जागीर कालिंजर थी और देवला और तिलका के पिता का नाम वासुदेव परिहार और भाई का नाम माहिल परिहार था, जो उरई के जागीरदार थे।
बनाफर राजपूत शुद्ध रक्त चंद्रवंशी क्षत्रिय है जिनका वैवाहिक संबंध राजपूतों में होता है। बनाफर राजपूत भारत के किसी भी कोने में है वह केवल जनरल कैटेगरी में ही आता है।
सोशल मीडिया पर यह भ्रांति फैलाई जाती है कि आल्हा उदल अहीर जाति से थे जबकि यह भ्रांति पूरी तरीके से गलत है साथ ही यह भ्रांति भी फैलाई जाती है कि बुंदेलखंड और मध्य प्रदेश में बनाफर अहीर होते हैं जबकि यह तथ्य सरासर गलत है बनाफर शुद्ध क्षत्रिय वंश है और इनके वैवाहिक संबंध क्षत्रियों मैं होते हैं इनका किसी पशुपालक जाति से कोई भी लेना देना नहीं है.
आज भी बहुत संख्या में बनाफर राजपूत भारत के इन इन जगहों पर निवास करते हैं-
बुंदेलखंड क्षेत्र में 84 गांव (जो आज का बुंदेलखंड है उस बुंदेलखंड क्षेत्र में एमपी और यूपी के कुछ जिले आते हैं), बनारस में 7 गांव, चंदौली में 5 गांव, मिर्जापुर में 1 गांव, गाजीपुर में 1 गांव, बलिया में 2 गांव, सोनभद्र में 2 गांव, बिहार में 9 गांव, राजस्थान में 4 गांव, पंजाब में 5 गांव, हरियाणा में 2 गांव, छत्तीसगढ़ में 3 गांव, झारखंड में 1 गांव, महाराष्ट्र में 1 गांव, बरेली उत्तर प्रदेश मे 1 गांव और कुछ बनाफर परिवार भारत के कुछ दूसरे प्रदेशों में भी निवास करते हैं। इसके अलावा कुछ बनाफर परिवार विदेश (कनाडा) में भी निवास करते हैं।
नाम | आल्हा-ऊदल |
पिता का नाम | दक्षराज बनाफर |
माता का नाम | देवला परिहार |
जाति | राजपूत |
जन्म स्थान | महोबा , उत्तर प्रदेश |
ग्रन्थ | अल्हाखण्ड |
FAQ
आल्हा उदल का मशहूर काव्य क्या है जिसमें उनकी शौर्य गाथा का वर्णन है?
“बड़े लड़य्या महुबे वाले जिनकी मार सही न जाए, एक के मारे दुई मरि जावैं तीसर खौफ खाय मरि जाए“
आल्हा-उदल किस जाति के थे?
आल्हा-ऊदल राजपूत जाति के थे.
आल्हा-उदल की माता जी का क्या नाम था?
आल्हा-उदल की माता जी का नाम देवला परिहार था.
🤣😂🤣 साले लोग कुछ भी चढ़ा देते हो,, आल्हा ऊदल चंद्रवशी थे,, और चंद्रवशी यादव में आते हैं
Allah Udal Rajput The