सिकरवार जिन्हें हम बडगुर्जर भी कहते हैं यह भारत की सबसे प्राचीन सूर्यवंशी क्षत्रिय जातियों में से एक है, सिकरवार राजपूतों को रघुवंशी भी कहा जाता है क्योंकि सिकरवार भगवान श्री राम के बेटे लव के वंशज हैं।
सिकरवार राजपूतों को मुस्लिम आक्रांताओं का कट्टर दुश्मन माना जाता था, इन्होंने कभी किसी शासक के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया और हमेशा युद्ध के मैदान में क्षत्रिय धर्म का पालन किया विजय या वीरगति।
सिकरवार राजपूत वंश कहां से शुरू हुआ?
सिकरवार भगवान श्री राम के जुड़वां बेटों में से एक लव के वंशज हैं, बडगुर्जर वंश लव के पुत्र बडउज्जवल के नाम पर शुरू हुआ (बडगुर्जर को बडउज्जवल का विकृत उच्चारण माना जाता है), यही कारण है कि बडगुर्जर को रघुवंशी भी कहा जाता है क्योंकि वह रघुकुल के हैं जिसमें भगवान श्री राम भी थे।
बडगुर्जर राजपूत वंश की 8 शाखाएं हैं – सिकरवार, मुंढाड, खंडारा, पोकरणा, राजौरा, रायजादा, कनौजिया, मुंजबाल.
सिकरवार’ शब्द राजस्थान के जिले ‘सिकार’ (Sikar) से बना है। यह जिला सिकरवार राजपूतों ने ही स्थापित किया था। इसके बाद इन्होने 823 ई° में “विजयपुर सीकरी” की स्थापना की, बाद में खानवा के युद्ध में जीतने के बाद 1524 ई° में बाबर ने विजयपुर सीकरी का नाम “फतेहपुर सीकरी” रख दिया। इस शहर का निर्माण चित्तौड़ के महाराज राणा भत्रपति के शाशनकाल में ‘खान्वजी सिकरवार’ के द्वारा हुआ था।
सिकरवार राजपूतों का इतिहास
सिकरवार राजपूतों को मुस्लिम आक्रांताओं का कट्टर दुश्मन माना जाता था, इन्होंने कभी किसी शासक के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया और हमेशा युद्ध के मैदान में क्षत्रिय धर्म का पालन किया विजय या वीरगति।
1524 ई में ‘राव धाम देव सिंह सिकरवार’ ने “खानवा के युद्ध” में बाबर के विरुद्ध राणा साँगा की ओर से लड़े, इस युद्ध में बाबर की सेना बहुत बड़ी होने की वजह से राणा सांगा की पराजय हुई.
सिकरवार इस युद्ध की पराजय में सब कुछ गवां बैठे, धामदेव को कोई रास्ता नही दिखाई दे रहा था तब उन्होंने कामाख्या देवी से प्रार्थना की। माँ ने उन्हें सपने में दर्शन दिए, उन्हें काशी की ओर गंगा किनारे जमदाग्नि एवं विश्वामित्र की तपोभूमि में निवास करने के लिए कहा।
धाम देव सिंह सिकरवार ने अपने परिवार, पुरोहित और सेवको के साथ प्रस्थान किया । रास्ते मे चेरु राजा शशांक को परास्त कर सकराडीह में गंगा किनारे अपने राज्य की स्थापना की।
यह स्थान गहमर कहलाया. वर्तमान में उत्तर प्रदेश में गाजीपुर के समीप है।जहाँ सिकरवारों के 36 गांव है। उन गांव के नाम अहिनौरा, हथौरी, देवल, डरवन, महुआरी, विश्रामपुर, भँवतपुरा, बगाढ़ी, मुसिया, पुरबोतिमपरु, तरैथा, सूर्यपुरा, जुझारपुर, कर्मछाता, कन्हुआ, बड़ा सीझूआ, छोटा सीझूआ, चपरागढ़, नईकोट, पुरानी कोट, गोड़सरा ,गोडि़यारी, सागरपर, तुर्कवलिया, पुरैनी, सिमवार, भैरवा, सेवराई, अमौरा, पढियारी, लहना, खुदुरा, समहुता, खरहना, बकइनिया, करहिया है.
राव जयराज सिंह सिकरवार के तीन पुत्र थे –
1 – काम देव सिंह सिकरवार(दलपति)
2 – धाम देव सिंह सिकरवार (राणा संगा के मित्र)
3 – विराम सिंह सिकरवार
काम देव सिंह सिकरवार जो दलखू बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए, उन्होंने मध्यप्रदेश के जिला मुरैना में जाकर अपना वंश चलाया.
कामदेव सिंह सिकरवार (दलखू बाबा) की वंशावली
चंबल घाटी के सिकरवार दलखू बाबा के वंशज कहलाते हैं. दलकू बाबा ने मुरैना में चम्बल नदी के किनारे सिकरवारी की स्थापना की। सन 1347 ई यहाँ के निवासी रावतों को परास्त कर सरसेनी (जौरा) गढ़ी पर कब्जा किया। सरसेनी में चम्बल किनारे आज भी सती का मंदिर बना हुआ है। यह एक तरह से सिकरवारी की कुलदेवी है।
दलखू बाबा के गांव इस प्रकार हैं –
सिरसैनी – स्थापना विक्रम संवत 1404 |
भैंसरोली – स्थापना विक्रम संवत 1465 |
पहाड़गढ़ – स्थापना विक्रम संवत 1503 |
सिहौरी – स्थापना बिवक्रम संवत 1606 |
दलखू बाबा की दो रानियों के सात पुत्र थे । ये सभी गांव इन पुत्रो को जागीर में दे दिए गए. दलखू बाबा के परगना जौरा में कुल 70 गांव थे , दलखू बाबा की पहली पत्नी के पुत्र रतनपाल सिंह सिकरवार के ग्राम बर्रेंड़ , पहाड़गढ़, चिन्नौनी, हुसैनपुर, कोल्हेरा, वालेरा, सिकरौदा, पनिहारी आदि 29 गांव रहे.
भैरोंदास सिंह सिकरवार, त्रिलोकदास सिंह सिकरवार के सिहोरी, भैंसरोली, “खांडोली” आदि 11 गॉंव रहे.
हैबंत रूपसेन सिंह सिकरवार के तोर, तिलावली, पंचमपुरा बागचीनी , देवगढ़ आदि 22 गांव रहे.
दलखू बाबा की दूसरी पत्नी की संतानें – गोरे, भागचंद, बादल, पोहपचंद खानचंद के वंशज कोटड़ा तथा मिलौआ परगना ये सब परगना जौरा के ग्रामों में आबाद हैं. इनमें गोरे और बादल मशहूर लड़ाके रहे हैं जिनका नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा हुआ है.
राव दलपत सिंह (दलखू बाबा) के वंशजों की जागीरें – 1. कोल्हेरा 2. बाल्हेरा 3. हुसैनपुर 4. चिन्नौनी (चिलौनी) 5. पनिहारी 6. सिकरौदा आदि रहीं.
मुरैना जिला में सिहौरी से बर्रेंड़ तक सिकरवार राजपूतों की आबादी है, आखरी गढ़ी सिहोरी की विजय सिकरवारों ने विक्रम संवत 1606 में की उसके बाद मुंगावली और आसपास के क्षेत्र पर अपना अधिकार स्थापित किया, वर्तमान जौरा तहसील के ग्राम सिहोरी से लेकर बर्रेण्ड तक का भौगोलिक क्षेत्र सिकवारों के अधीन हो गया।
सिकरवार राजपूतों की आबादी किस क्षेत्र में है?
सिकरवार राजपूतों की आबादी विशेष रूप से उत्तर भारत और मध्य भारत में फैली हुई पाई जाती है खासतौर पर राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और मुख्य रूप से आगरा के आसपास के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।
Sikarwar FAQ
सिकरवार किस जाति में आते हैं?
सिकरवार राजपूत जाति में आते हैं और यह सिकरवार भारत की सबसे प्राचीन क्षत्रिय उपजातियों में से एक है।
क्या सिकरवार जाट होते हैं?
नहीं, सिकरवार राजपूत होते हैं और कहीं ऐसा देखा भी नहीं गया कि सिकरवार किसी और जाति में पाए गए हो।
क्या सिकरवार (बडगुर्जर) गुज्जर जाति में आते हैं?
नहीं, सिकरवार (बडगुर्जर) का गुज्जर जाति से कोई लेना देना नहीं है सिकरवार राजपूत वंश शुद्ध छत्रिय वंश है जबकि गुज्जर जाति एक घुमंतू जाति है।
सिकरवार राजपूतों की आबादी किस राज्य में पाई जाती है?
सिकरवार राजपूतों की आबादी राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और मुख्य रूप से आगरा के आसपास के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।
सिकरवार राजपूतों की कुलदेवी का क्या नाम है?
सिकरवार राजपूतों की कुलदेवी का नाम माँ कामाँख्या देवी है.
सिकरवार राजपूतों का गोत्र क्या है?
संकरित.
सिकरवार राजपूत किस वंश से संबंधित है?
सूर्यवंश.
सिकरवार राजपूतों की राजधानी कहां थी?
सिकरवार राजपूतों की राजधानी विजयपुर सीकरी थी, जिसे मुगलों द्वारा जीत लेने के बाद फतेहपुर सीकरी के नाम से जाने जाने लगा
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सिकरवारो की गाथाएं कहीं ना कहीं दब चुकी
थी परन्तु अब और नहीं
आप का बोहोत बोहोत शुक्रिया
जय राजपुताना🙏🙏
जय राजपुताना🙏🙏
Bhai sikarwar Jat bhi hai
Wo sinsinwar hote hai
Jay mata di
Viram dev kaha ke raja the
Gotra Hamra bhardwaj h n ki snakrit
Bilkul Sahi
Jay Rajputana 🙏🙏
Arjun sikarwar
Jai maa bhawani
Jai Jai rajputana 🚩🚩🚩
JAI MA KAMAKHYA
JAI MAA KAMAKHYA
DEWAL,GHAZIPUR ,UP
sir
jai maa kamakhya
sir aap kaha se hai
aapka gotra kya hai
please contact me
Iske baad Bhind jile ke char gao bhi ise bance me aate hai jese ajeeta ,takpura, kheroli ,sada, ye char gao bhi ise bance se hai . Murena me aapne bhaiyo ko chodkar yaha aa gaye
Jai Maa Kamakhya ,
Bolo Dalkhu Baba Ki Jai,